AIMMM

मुस्लिम संगठनों के महासंघ ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत ने मताधिकार छीनने की कोशिशों, गैरकानूनी बेदखली और लक्षित हिंसा की घटनाओं को न्यायलोकतंत्र और मानवाधिकार पर हमला माना और सभी स्तरों पर कानूनीराजनीतिक और नैतिक प्रतिरोध का संकल्प लिया।

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत (AIMMM), जो भारत के मुस्लिम संगठनों और प्रमुख हस्तियों का महासंघ है, बिहार और देश के अन्य हिस्सों में एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन)के माध्यम से हाशिये पर पड़े समुदायों के मताधिकार छीनने की कोशिशों पर गहरी चिंता और दुख व्यक्त करता है। इसके साथ ही, मुशावरत का मानना है कि भाजपा-शासित राज्यों में, सांप्रदायिक हिंसा, घृणा अपराधों और अल्पसंख्यकों पर लक्षित आतंकवादी कार्रवाइयों में खतरनाक वृद्धि, असम में मुसलमानों को अवैध रूप से उजाड़ना, बांग्ला भाषी मुसलमानों को निशाना बनाना, वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के दुष्प्रभाव, मालेगांव विस्फोट के आरोपियों की दोषमुक्ति और महाराष्ट्र सरकार द्वारा मालेगांव व मुंबई ट्रेन विस्फोट मामलों में अलग-अलग रुख अपनाना – ये सभी देश के लोकतांत्रिक व धर्मनिरपेक्ष ढांचे के लिए गंभीर खतरा हैं। ये बातें शनिवार को यहां मुशावरत के अध्यक्ष फ़िरोज़ अहमद अधिवक्ता ने मीडिया के प्रतिनिधियों को संभोदित करते हुए कहीं। उन्हों ने इज़रायली सरकार द्वारा गाज़ा, वेस्ट बैंक और अन्य कब्ज़े वाले इलाक़ों में फ़िलिस्तीनी जनता के खिलाफ़ किए जा रहे नरसंहार, युद्ध अपराधों और संगठित अत्याचारों की कड़ी निंदा करती है। मुशावरत के स्थापना दिवस पर जारी किये गए विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुशावरतइन सभी संकटों को न्याय, लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर हमला मानती है और हर स्तर पर कानूनी, राजनीतिक व नैतिकप्रतिरोध का संकल्प लेता है।

एसआईआर का दुरुपयोग

यह प्रक्रिया, जो मतदाता सूची में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए है, हाशिये पर पड़े समुदायों—विशेष रूप से मुसलमान, दलित, पिछड़े और गरीब तबके—को निशाना बनाने और उनके नाम मनमाने ढंग से हटाने का हथियार बन गई है। रिपोर्टों के अनुसार, बिना सत्यापन या सूचना के बड़े पैमाने पर नाम काटे जा रहे हैं और दस्तावेज़ी सबूत स्वीकारकरने से इनकार किया जा रहा है।

मुशावरतका कहना है कि यह मताधिकार पर सीधा हमला है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।

बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा और लक्षित कार्रवाइयाँ


हाल के महीनों में सांप्रदायिक हमलों, अवैध विध्वंस और धार्मिक रूप से प्रेरित आतंकवादी कार्रवाइयों में खतरनाक वृद्धि हुई है। कुछ मीडिया संस्थान घृणा फैलाने वाला प्रचार कर रहे हैं, राजनीतिक संरक्षण अपराधियों को बचा रहा है और न्याय में देरी जनता का विश्वास कम कर रही है। असम में विशेष रूप से बांग्ला भाषी मुसलमानों को उजाड़ने की मुहिम, और दिल्ली एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में उन पर “अवैध प्रवासी” होने का आरोप लगाकर परेशान करना, एक संगठित भेदभावपूर्ण नीति का हिस्सा है।

मुशावरतमांग करती है कि सभी बेदखली मुहिम रोकी जाए, नागरिकता और भूमि रिकार्ड का पारदर्शी परीक्षण हो, औरजातीय व धार्मिक भेदभाव से बचाने के लिए ठोस कानूनी सुरक्षा दी जाए।

वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025

यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और सुरक्षा को बेहतर बनाने के बजाय उनकी स्वायत्तता और संवैधानिक संरक्षण को खतरे में डालता है। सरकार को अत्यधिक नियंत्रण देकर, राजनीतिक हस्तक्षेप और भूमि अधिग्रहण के रास्ते खोलता है। भाजपा शासित राज्यों में इसका दुरुपयोग किया जा रहा है,  जबकि यह कानून अभी सर्वोच्च न्यायालय में समीक्षाधीन है।मुशावरत इसकी तत्काल वापसी की मांग करती है।

मालेगांव विस्फोट मामला

मालेगांव विस्फोट 2008के सभी आरोपियों की दोषमुक्ति, जिसमें 6 लोगों की मौत और सौ से अधिक घायल हुए, न्याय की विफलता है। महाराष्ट्र सरकार का रवैया मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले से भिन्न रहा, जो दोहरे मानदंड को दर्शाता है। मुशावरतउच्चस्तरीय न्यायिक जांच और समान न्याय मानकों की मांग करता है।

फ़िलिस्तीन में नरसंहार

इज़रायल की कार्रवाइयाँ, जिनमें नागरिकों पर बमबारी, नाकाबंदी, भूखमरी और जबरन विस्थापन शामिल हैं, खुला नरसंहार हैं। मुशावरतअंतरराष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय से तत्कालहस्तक्षेप और इज़रायल के खिलाफ जवाबदेही तय करने की मांग और क्षेत्र के देशों को मानवता के साथ खड़े होने तथा उत्पीड़न और नरसंहार को कभी बर्दाश्त न करने का आग्रह करती है।

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