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कायदे मिल्लत एजुकेशनल एंड सोशल ट्रस्ट (चेन्नई) की पुरस्कार समिति ने श्री हामिद के साथ श्री जॉन दयाल को भी 2024 के लिए इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार का विजेता घोषित किया। यह पुरस्कार, जिसमें 500,000 रुपये, प्रमाण पत्र और ट्रॉफी शामिल है, 2015 से प्रतिवर्ष राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी के लिए प्रदान किया जाता है।

नई दिल्ली: दक्षिण भारत की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित संस्था, कायदे मिल्लत सोशल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट (चेन्नई) ने ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के पूर्व अध्यक्ष श्री नवेद हामिद को “कायदे मिल्लत पुरस्कार 2024” प्रदान करने की घोषणा की है। ट्रस्ट के महासचिव एम जी दाऊद मियां खान द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, आईयूएमएल के दिवंगत संस्थापक कायदे मिल्लत मुहम्मद इस्माइल की स्मृति में स्थापित इस पुरस्कार में 5 लाख रुपये की राशि, प्रशंसा पत्र और एक ट्रॉफी शामिल है। राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी का सम्मान करने के लिए इसे 2015 से प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। इस वर्ष, प्रसिद्ध शिक्षाविद् डॉ वी वसंती देवी (एम.एस. विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति) की अध्यक्षता में पुरस्कार के लिए चार सदस्यीय चयन समिति ने श्री नवेद हामिद और श्री जॉन दयाल को पुरस्कार के सफल प्राप्तकर्ता के रूप में चुना है, जिसे अप्रैल 2025 में एक भव्य समारोह में प्रदान किया जाएगा। कायदे मिल्लत ट्रस्ट इस से पहले पहले यह पुरस्कार तीस्ता सीतलवाड़, आर नल्लाकन्नू, एन शंकरिया, सैयद शहाबुद्दीन, माणिक सरकार, हामिद अंसारी, अरुणा रॉय, ए जी नूरानी, ​​हर्ष मंदर, बिलकिस बानो (शाहीन बाग की दादी), डॉ इरफान हबीब, थिरु के वीरमणि, द वायर (डिजिटल पोर्टल), एन राम (संपादक, द हिंदू) और डॉ अबुसालेह शरीफ को प्रदान कर चूका है। श्री फिरोज अहमद एडवोकेट (अध्यक्ष, एआईएमएमएम) ने अपने पूर्ववर्ती श्री नवेद हामिद और प्रसिद्ध पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री जॉन दयाल को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुने जाने पर हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने चयन समिति के सदस्यों के साथ-साथ ट्रस्ट के सदस्यों और महासचिव एमजी दाऊद मियां खान को भी शुभकामनाएं पेश की हैं।
श्री नवेद हामिद, जो 1980 के दशक के उत्तरार्ध से ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के लिए काम कर रहे हैं, का जन्म 23 जून, 1963 को दिल्ली में हुआ था। वे दिल्ली विश्वविद्यालय में अपने छात्र जीवन से ही राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। 2016 से 2023 तक, उन्होंने मुशावरत के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और वर्तमान में इसके उपाध्यक्ष हैं। यूपीए सरकार के दौरान, उन्हें देश के सबसे प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं में से एक माना जाता था, दक्षिण एशियाई अल्पसंख्यक परिषद (SACM) के संस्थापक सचिव और मुस्लिम भारतीयों के सशक्तिकरण के आंदोलन (MOEMIN) के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में भी उनकी सेवाएं उल्लेखनीय हैं। 2008 में, नई दिल्ली वैश्विक अल्पसंख्यक सम्मेलन के दौरान, 18 देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में उन्हें न्याय और शांति के लिए वैश्विक अल्पसंख्यक मंच का महासचिव चुना गया। 2023-24 में, उन्होंने अखिल भारतीय मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत, दलित संगठनों, ईसाई समूहों और अन्य समुदायों को एक साथ लाकर “हिंसा-मुक्त भारत” अभियान का संचालन किया।

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